Sunday, 25 December 2022

Q-What's the best way to avoid coworkers taking credit for your work?

Don’t avoid it. Accept it. Congratulations, your life just got MUCH easier and your load just got much lighter! Seriously. Try this. It will make you more relaxed and calm and avoid a potentially never-ending, losing game.

People around you will take credit, probably doesn’t matter what company, job, environment. 
It’s a human trait. Ultimately this will catch up to them, but more importantly: what is it that is making you afraid? Are you worried they will be given an opportunity ahead of you because they stole the limelight? Is it worth competing for the “credit”? Is it worth the stress?

Less qualified, less-innovative people will get better jobs, more pay, more opportunity. Is your goal to slow their progress, or accelerate yours?

The ego is a powerful force. Your ego, your expectations of your value and appreciation all factor into your thoughts.

Thursday, 15 December 2022

Bermuda Tringle Mystery & History📖

Bermuda Triangle: 
आसान भाषा में समझिए क्या है बरमूडा ट्रायंगल की हिस्ट्री और मिस्ट्री
Bermuda Triangle: हैरत की बात ये है कि पिछले 100 सालों में इसमें 75 हवाई जहाज और 100 से ज्यादा छोटे-बड़े जहाज समा चुके हैं और 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
हाइलाइट्स
ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है बरमूडा ट्रायंगल।
सबसे पहले इसकी जानकारी क्रिस्टोफर कोलंबस ने दी थी।
उनका ये भी मानना है कि बरमूडा ट्रायंगल एलियंस के बेस तक जाता है।
हम अक्सर बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) के विषय में सुनते हैं और नाम सुनकर हमें अचंभा लगता है कि आखिर ये है क्या और इसका रहस्य क्या है। साइंस की भाषा में जब हम पढ़ते हैं तो हमें उतना अच्छे से समझ नहीं आता है, लेकिन अगर कोई आम बोलचाल की भाषा में समझा सके तो कितना बेहतर होता। इसलिए हम इस लेख के माध्यम से आपके लिए लेकर आएं हैं बरमूडा ट्रायंगल की हिस्ट्री और उसकी मिस्ट्री बेहद आसान और आम बोलचाल की भाषा में जिससे आपको इस विषय को समझने में कोई समस्या ना हो।
क्या है बरमूडा ट्रायंगल?
अटलांटिक सागर में 5 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एक हिस्सा बरमूडा ट्रायंगल कहलाता है। इसे बारमूडा ट्रायंगल इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका आकार ट्रायंगल की तरह है। हालांकि इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन हैरत की बात ये है कि पिछले 100 सालों में इसमें 75 हवाई जहाज और 100 से ज्यादा छोटे-बड़े जहाज समा चुके हैं और 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यही कारण है कि यह एक मिस्ट्री या रहस्य बना हुआ है। इसे डेविल (राक्षस) ट्रायंगल नाम से भी जाना जाता।
 बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर मियामी (फ्लोरिडा) से महज 1770 किलोमीटर और हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया, (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर (840 मील) की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि सबसे पहले इसकी खोज या यूं कहिए इसकी जानकारी क्रिस्टोफर कोलंबस ने दुनिया को दी थी। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से बताया था कि किस तरह की घटनाएं बरमूडा ट्रायंगल में होती हैं और यह एक रास्ता है, जो एलियंस के बेस तक जाता है।
क्यों गायब हो जाते हैं जहाज
 इस क्षेत्र में जहाजों के गायब होने के कारणों पर कई शोध और अध्ययन हुए, लेकिन अभी तक स्पष्ट रूप से कुछ पता नहीं चल पाया है। हालांकि जहाजों के गायब होने को लेकर वैज्ञानिक मौसम को इसका जिम्मेदार बताते हैं। बरमूडा ट्रायंगल के आसपास के मौसम पर शोध कर वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि इस ट्रायंगल के ऊपर खतरनाक हवाएं चलती हैं और इनकी रफ्तार 170 मील प्रति घंटे रहती है। जब कोई जहाज इस हवा की चपेट में आता है, तो अपना संतुलन खो बैठता है, जिसके कारण उनका एक्सीडेंट हो जाता है।

बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित ब्रिटेन का प्रवासी क्षेत्र है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) में बेहद भारी चीजों को अपनी ओर खींच लेने की ताकत बादलों की हेक्सागोनल शेप की वजह से आती है। यह बादल ‘एयर बम’ बनाते हैं। यानी हवा में बम ब्लास्ट जैसी ताकत पैदा करते हैं। इनके साथ 170 मील (करीब 273 किलोमीटर)/घंटा की रफ्तार वाली हवाएं होती हैं और ये बादल और हवाएं आपस में मिलकर जब जहाज से टकराते हैं और उन्हें खींचकर समुद्र के तल में ले जाते हैं।

📕

Tuesday, 13 December 2022

क्या आप जानते हैं ग्रेट गीजा पिरामिड से जुड़ी ये रोचक बातें? यहां जानें इजिप्ट के पिरामिडों का रहस्य

वैसे तो मिस्र में कई पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीज़ा में तीन पिरामिड हैं, लेकिन सिर्फ गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है।
 हाइलाइट्स
दुनिया के सात अजूबों में शामिल ग्रेट गीजा पिरामिड सबसे ऊपर आता है
भारत की तरह ही मिस्र की सभ्यता भी बहुत पुरानी है
सनेफेरू के उत्तराधिकारी के लिए बनाए गया था गीज़ा पिरामिड
 Great Giza Pyramid Inside: दुनिया के सात अजूबों में शामिल ग्रेट गीजा पिरामिड सबसे ऊपर आता है। क्या आप जानते हैं कि इसका सदियों पुराना इतिहास और बनावट आज भी लोगों को हैरान कर देती है। मिस्र का पिरामिड उस समय बनाया गया था, जब मिस्र दुनिया के सबसे अमीर और शक्तिशाली सभ्यताओं में से एक था। यह पिरामिड- गीज़ा के महान पिरामिड-इतिहास में सबसे शानदार मानव निर्मित रचना में से एक है। मिस्र के पिरामिड का निर्माण तत्कालीन राजाओं के शवों को दफ़नाने के लिए किया जाता था
 भारत की तरह ही मिस्र की सभ्यता भी बहुत पुरानी है। वैसे तो मिस्र में कई पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीज़ा में तीन पिरामिड हैं, लेकिन सिर्फ गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है। दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है, जो सबसे पुराना है।

ऐसे थे शुरुवात के पिरामिड
राजवंश युग की शुरुआत से (2950 बी.सी.) में शाही कब्रों की चट्टान में नक्काशी की गई थी और समतल-छत वाले आयताकार ढांचे के साथ इन्हें सुरक्षित किया गया था। इसे “मस्तबा” कहा जाता था और ये अग्रगामी पिरामिड थे।
 ऐसा कहा जाता है कि पिरामिड के वास्तुकार इम्होटेप थे, एक पुजारी और चिकित्सक, जो 1,400 साल बाद वहां के लेखकों और चिकित्सकों के संत बन गए थे।

सनेफेरू के उत्तराधिकारी के लिए बनाए गया था गीज़ा पिरामिड
गीज़ा के पिरामिड सबसे पुराने और सबसे बड़ा, महान पिरामिड के रूप में जाने जाते है, प्राचीन दुनिया के प्रसिद्ध सात चमत्कारों में से एकमात्र जीवित संरचना है। यह खुफू (चेप्स, ग्रीक में), सनेफेरू के उत्तराधिकारी और चौथे राजवंश के आठ राजाओं के लिए बनाया गया था।

मिस्र के पिरामिड से प्राचीन और आधुनिक मक़बरे से लुटेरों ने निकायों और अंतिम संस्कार के सामान को लूट लिया था। उनके ऊपर लगे हुए चिकने सफेद चूने के पत्थर को ख़राब कर दिया गया था।
महान पिरामिड अब अपनी मूल ऊंचाई खुफू तक नहीं पहुंचते हैं, उदाहरण के लिए- आज के पिरामिड केवल 451 फीट ऊंचे ही होते हैं। हालाँकि आज भी लाखों लोग हर साल उनकी भव्यता और मिस्र के समृद्ध अतीत का स्थायी आकर्षण पिरामिड का दौरा करते हैं। यहां दूर-दूर से लोग घूमने भी आते हैं।
जानें गीजा पिरामिड के रोचक तथ्य
यह दुनिया के 7 अजूबों में सबसे ऊपर आता है और गीजा का महान पिरामिड सबसे पुराना है।
3,800 सालों से यह पिरामिड दुनिया की सबसे ऊंची बनावट है, जिसे कोई इमारत पीछे नहीं छोड़ सकी है।
ग्रेट पिरामिड में पत्थरों का प्रयोग इस तरह किया गया है कि इसके अंदर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है।
पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाये गये हैं ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूंकप से सुरक्षित रहे।
ग्रेट पिरामिड को गणित की जन्मकुंडली भी कहा जाता है, जिससे भविष्य की गणना की जा सकती है।
कुछ लोग पिरामिडों में स्थित जादुई असर की बात भी करते हैं, जो मानव स्वास्थ्य पर शुभ प्रभाव डालता है।

🖤

Thursday, 29 October 2020

आर्मीनिया और अजरबैजान के मध्य विवाद और भारत

आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच सीमाओं को लेकर विवाद (Armenia-Azerbaijan Conflict) चल रहा है, जो हिंसक हो चुका है. लेकिन यह विवाद भारत और पाकिस्तान (India-Pakistan Conflict) के बीच कश्मीर विवाद (Kashmir Issue) या भारत और चीन के बीच सीमा विवाद (India-China Border Dispute) से काफी अलग स्थिति है.
  भारत के आर्मेनिया के साथ रिश्ते? 
सुरक्षा और सहयोग आधारित संगठन (OSCE) के हिसाब से शांति बहाली की हिमायत करने वाले भारत के रिश्ते आर्मेनिया के साथ खासे दिलचस्प रहे हैं. इसी साल, मार्च में भारत ने आर्मेनिया को हथियार सप्लाई करने के लिए रूस और पोलैंड को मात देकर 4 करोड़ डॉलर की डील की. इससे पहले भी आर्मेनिया के साथ भारत के रिश्ते आपसी सहयोग के रह चुके हैं.
1991 में, जब सोवियत संघ टूटा तब आर्मेनिया को समर्थन दिया और वहां दूतावास की सेवाओं का विस्तार मॉस्को से किया. विदेश मंत्रालय के मुताबिक तबसे अब तक आर्मेनिया के राष्ट्रपति तीन बार (1995, 2003 और 2017) भारत यात्रा पर आ चुके हैं और विदेश मंत्री भी (2000, 2006 और 2010). आर्मेनिया के बाद अज़रबैजान के साथ भारत के रिश्ते क्या बताते हैं?
अज़रबैजान के साथ रिश्तों का अर्थ?
संबंध दोस्ताना ही रहे हैं, लेकिन इनमें ताज़गी नहीं है. भारत के कला प्रतिनिधि रबींद्रनाथ टैगोर, विचार प्रतिनिधि और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अज़रबैजान की यात्राएं की थीं, लेकिन यह तब की बात है जब यह मुल्क सोवियत समाजवादी गणतंत्र हुआ करता था. अज़रबैजान जबसे सोवियत संघ से अलग हुआ है, तबसे यानी करीब 20 सालों से कोई उच्च स्तरीय मेलजोल नहीं रहा है
दोनों देशों से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति?
दूसरी स्थिति यह है कि अज़रबैजान पहले कश्मीर मुद्दे पर तुर्की की तरह ही पाकिस्तान के सुर में सुर मिला चुका है. भारत के अपने संबंध खास तरोताज़ा नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अज़रबैजान को पाकिस्तान की तरफ रुख कर लेना, ये तमाम इशारे हैं कि भारत आर्मेनिया के साथ चल रहे अज़रबैजान के विवाद में किसका पक्ष ले सकता है. नहीं रहा है

आर्मीनिया और अज़रबैजान, नागोर्नो-काराबाख को लेकर क्यों लड़ रहे हैं

दशकों पहले से जारी इस विवाद को लेकर एक बार फिर से छिड़ी लड़ाई में सोमवार को दर्जनों लोगों के मारे जाने की ख़बर है.

इस विवाद के केंद्र में नागोर्नो-काराबाख का पहाड़ी इलाक़ा है जिसे अज़रबैजान अपना कहता है, हालांकि 1994 में ख़त्म हुई लड़ाई के बाद से इस इलाक़े पर आर्मीनिया का कब्ज़ा है.

1980 के दशक से अंत से 1990 के दशक तक चले युद्ध के दौरान 30 हज़ार से अधिक लोगों को मार डाल गया और 10 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.

उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने नागोर्नो-काराबाख के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया, हालांकि 1994 में युद्धविराम के बाद भी यहां गतिरोध जारी है
पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके आर्मीनिया और अज़रबैजान नागोर्नो-काराबाख के इलाक़े को लेकर 1980 के दशक में और 1990 के दशक के शुरूआती दौर में संघर्ष कर चुके हैं.

दोनों ने युद्धविराम की घोषणा भी की लेकिन सही मायनों में शांति समझौते पर दोनों कभी सहमत नहीं हो पाए.

दक्षिणपूर्वी यूरोप में पड़ने वाली कॉकेशस के इलाक़े की पहाड़ियां रणनीतिक तौर पर बेहद अहम मानी जाती हैं. सदियों से इलाक़े की मुसलमान और ईसाई ताकतें इन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती रही हैं.

1920 के दशक में जब सोवियत संघ बना तो अभी के ये दोनों देश - आर्मीनिया और अज़रबैज़ान - उसका हिस्सा बन गए. ये सोवियत गणतंत्र कहलाते थे.

नागोर्नो-काराबाख की अधिकतर आबादी आर्मीनियाई है लेकिन सोवियत अधिकारियों ने उसे अज़रबैजान के हाथों सौंप दिया.

इसके बाद दशकों तक नागोर्नो-काराबाख के लोगों ने कई बार ये इलाक़ा आर्मीनिया को सौंपने की अपील की.

लेकिन असल विवाद 1980 के दशक में शुरू हुआ जब सोवियत संघ का विघटन शुरू हुआ और नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आधिकारिक तौर पर खुद को आर्मीनिया का हिस्सा बनाने के लिए वोट किया

ये खबरे इंटरनेट से जुटाई गयी है, जिसका विश्लेषण करने का प्रयास मेरे द्वारा किया गया हैं, कई पाकिस्तान के लोगो के द्वारा इस खबर को कश्मीर के हल के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसमे वो कहते हुए दिखते है कि उन्हें भी भारत से इसी तरह लडाई करके कश्मीर को ले लेना चाहिए, परन्तु वो ये भूल रहे है कि सन् 1948,1971,1964, और कारगिल 1999 मे उन्हे भारत से मुह की खानी पड़ी थी।
आगे जारी रहेगा... 
गौरव्

Thursday, 27 February 2020

Unit Weight of Material used in Construction

*Unit Weight of Materials Used at Construction Site:*

1- Water= 1000 Kg/ m3
2- Bricks (broken)= 1420 Kg/ m3
3- Bricks(common)= 1600 Kg/ m3
4- Cement(ordinary)= 1440 Kg/ m3
5- Cement (rapid hardening)= 1250 Kg/ m3
6-Cement Mortar= 2000 Kg/ m3
7- Cement Concrete (Plain)= 2400 Kg/ m3
8- Cement Concrete (Reinforced)= 2500 Kg/ m3
9- Glass= 2500 Kg/ m3
10- Lime Concrete= 1900 Kg/ m3
11- Cement Plaster= 2000 Kg/ m3
12- Lime Plaster= 1700 Kg/ m3
13 Stones (Ballast)= 1720 Kg/ m3
14- Stones (Aggregates)= 1750 Kg/ m3
15- Stones (Basalt)= 2850 Kg/ m3
16- Stones (Granite)= 2450 Kg/ m3
17- Stones (Marble)= 2650 Kg/ m3
18- Timber (Oak, Sal)= 510 Kg/ m3
19- Timber (Mango)= 650 Kg/ m3
20- Timber (Teak)= 625 Kg/ m3
21- Coal 600= Kg/ m3
22- Plastics= 1250 Kg/ m3
23- Oils= 800 Kg/ m3
24- Ashes= 650 Kg/ m3
25- Clinker= 750 Kg/ m3
26- Rubber= 1300 Kg/ m3
27- Slag= 1500 Kg/ m3
28- Clay Soil= 1900 Kg/ m3
29- Sand (dry)= 1540 to 1600 Kg/ m3
30- Sand (wet)= 11760 to 2000 Kg/ m3
31- Steel= 7850 Kg/ m3
32- Chalk= 2100 Kg/ m3
33- Bitumen= 1040 Kg/ m3


Tuesday, 11 February 2020

About Plumbing Traps


Traps –

A Trap is a device which is used to prevent sewer gases from entering the building.

Common gases that are produced in a sewage system.
 1-Methane
 2- Hydrogen sulphide
 3- Nitrogen Sulphide
 4- Carbon monoxide

Depending upon the shape are classified as:

1-P Trap- This trap is used with Indian water closet, is used for outlet through the wall.

2-Q Trap-This trap is used in toilet under water closet.

3-S Trap - Similar to P Trap and is used for fixing water closet in toilets (through the floor)   
           
4-Nahni/Floor Trap- This trap is provided in the floor to collect waste water from washbasin,  shower, sink, bathroom.

5-Gully trap- These traps are constructed outside the building to carry waste water discharge from wash basin, sinks, bathrooms etc and connected to the nearest building drain/sewer so that foul gases from sewer do not come to the house.

6-Intercepting trap- This is provided at the last main hole.

7-Bottle Trap- This Trap is used below washbasin and sinks to prevent entry of foul gases.

Top 100 IC Engine Question for RRB JE SSC JE and all others State JE Exam.Me

IC Engine MCQs (1–20 )  1. The working cycle in case of a four-stroke engine is completed in how many revolutions? A) 1  B) 2  C) 3  D) 4  A...